EDITOR - RAJEEV TIWARI
महोबा के कस्बाथाई मोहल्ले का एक बुजुर्ग पिता आज अपने ही बेटों के जुल्म का शिकार होकर बेबस और लाचार जिंदगी जीने को मजबूर है। कभी जिस पिता ने खून-पसीना बहाकर जमीन, दुकान और मकान खड़े किए, उसी ने बेटों की खुशहाल जिंदगी के लिए सबकुछ उनके नाम कर दिया। लेकिन आज वही पिता दो वक्त की रोटी और जेब खर्च के लिए मोहताज है। कस्बाथाई के सुरेश सोनी ने अपना सबकुछ बेटों के नाम कर दिया था, इस भरोसे के साथ कि बुढ़ापे में वे उनकी सेवा करेंगे। मगर बेटों ने भरोसे का गला घोंट दिया। अब वे न ही माता-पिता का खर्च उठाते हैं और न ही ढंग से बात करते हैं। सुरेश सोनी ने बताया कि जब उन्होंने बेटों से ₹100 मांगे, तो पुत्र ने महज ₹20 दिए। जब सुरेश ने पूरा खर्च मांगा, तो दोनों बेटों ने उन्हें बेरहमी से पीट डाला। बुढ़ापे की लाठी बनने के बजाय उन्हीं बेटों ने अपने पिता को घायल कर दिया। पिटाई के बाद घायल सुरेश को जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। पिता ने रोते हुए कहा, मैंने सोचा था कि बुढ़ापे में बेटे मेरा सहारा बनेंगे, मगर उन्होंने तो जीते जी मरने को मजबूर कर दिया। काश, मैंने अपनी जमीन और संपत्ति उनके नाम न की होती। सुरेश सोनी ने अपने दोनों पुत्रों के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने प्रशासन से न्याय और सुरक्षा की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि अब वे सिर्फ एक शांतिपूर्ण जीवन चाहते हैं, जहां उन्हें अपनों के ही हाथों प्रताड़ित न होना पड़े। बहरहाल, बुजुर्ग माता-पिता का बेटों की सेवा का सपना टूट गया, अब वे कानून से आस लगाए बैठे हैं कि शायद उन्हें इंसाफ मिल सके। यह घटना समाज को एक कड़वा आईना दिखाती है कि बुढ़ापे में जिन संतानों पर भरोसा किया जाता है, वही कभी-कभी सबसे बड़े दुश्मन बन जाते हैं।
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